मोबाइल टावरों हेतु अनुमति, सेल ऑन व्हील, सूक्ष्म संचार उपस्कर, इन-बिल्डिंग सोल्यूशन्स इत्यादि
- मोबाइल टावर्स – अधिष्ठापन के प्रकार पर आधारित मोबाइल टावरों को भू आधारित श्रेणी (जी बी टी), छतों पर लगने वाले टावर (आर टी टी ) तथा छतों पर लगने वाले खंभों (आर टी पी) में वर्गीकृत किया गया है ।
- भू आधारित टावर : ये टावर प्राकृतिक सतह पर उचित नींव के साथ खड़े किए जाते हैं । इन टावरों की भार वहनीयता अधिक होती है तथा ये बाहरी एंटीना व फिक्सचर आदि के लिए उपयुक्त होते हैं ।
- छतों पर लगने वाले टावर – इस प्रकार के टावर मौजूदा भवनों की छत पर खड़े किए जाते हैं जिन का ढांचा लौह, कॉलम तथा टाई बीम पर आधारित होता है । ये टावर एंटीना तथा फ़िक्सचर आदि हेतु लगते हैं ।
- छतों पर लगने वाले खंभे – इन खंभों को मौजूदा भवनों की छतों पर छोटे एंटीना तथा फ़िक्सचर आदि लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- टावर लगाने हेतु अनुमन्य स्थान – मोबाइल संचार टावर लगाए जाने हेतु अनुमन्य स्थान – चूंकि मोबाइल टावर एक आवश्यक तथा नाज़ुक अवसंरचना तथा जनोपयोगी सेवा है, अत: उसके लगाए जाने के स्थान पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा जब तक कि किसी प्राधिकरण/न्यायालय द्वारा न मना किया जाए । मोबाइल टावरों को हर स्थान पर लगाया जा सकता है, उनके हेतु विनिर्दिष्ट स्थानों पर ध्यान दिये बिना जिसमें सम्मिलित हैं : –
- सभी प्रकार की आवासीय/बहुतलीय भवन/सामूहिक आवासीय भवन
- सभी प्रकार के औद्योगिक/व्यावसायिक भवन
- सभी प्रकार के संस्थागत भवन/अस्पताल
- रिक्त भूमियाँ यथा पार्क, खेल के मैदान, वनीयभूमि तथा जन सुविधाओं हेतु चिन्हित भूमि
- भूमि तथा भवन जो सरकारी विभागों/शासकीय नियंत्रण वाले निकायों/राज्य पी एस यू के अधीन हो
- निर्गत अनुमति की वैधता : इस नियम के अंतर्गत किसी भी आवेदक को निर्गत की गई अनुमति अनुज्ञा पत्र की वैधता आई पी-1 को निर्गत टी एस पी/पंजीयन प्रमाणपत्र के साथ साथ ही समाप्त होगी ।
ऑप्टिकल फ़ाइबर अवसंरचना हेतु निर्गत राइट ऑफ वे (आर ओ डब्ल्यू) अनुमति
अनुज्ञापी द्वारा सड़कों के किनारे तथा अन्य स्थानों पर ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल (भूमिगत व अधितल) बिछाने का कार्य किया जाता है। अनुज्ञापी को सड़कों के किनारे, भूमि पर ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल बिछाने, पावर सप्लाई पोल, पुल इत्यादि हेतु उचित प्राधिकरण से पूर्वानुमति लेनी होगी, जो कि विभिन्न विभागों/संस्थानों यथा भवन निर्माण विभाग, सड़क निर्माण विभाग, ग्राम विकास विभाग, वन विभाग, जल संसाधन विभाग, बियाडा, विद्युत वितरण कंपनियां, स्थानीय निकाय, राज्य सरकार के अन्य प्राधिकरणों अथवा निजी स्वामियों के अधीन हो।